संदेश

गीता

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मेरे  एक  मित्र  थे ! अतुल  पटेल !! उनके  साथ गीता शार्ट में  कैसे  कहे  !! ज्ञ  कृ  भ  !! उनकी  यह बात अच्छी है !! ज्ञान  कर्म  और भक्ति !! यही बात को जोड़ा तो यह बन गया !! यही  बात  एक इंटरवयू  में कही  

मन की दिशा एक

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मन  की दिशा एक अभ्यास यथा महिषे  मन एक ही दिशा में दौड़ता है !! पागल बन कर !! हम कुछ भी सोचते है उसी समय अनेक चीजो को भूल कर सोचते है  !! एक में दौड़ अनेको की विस्मृति यही मन की गति का गुण  है !! एक रानी ने अति आश्चर्य में रहने वाले राजा को एक भैसा उठा कर दिखलाया था !! उसने अभ्यास की बात समजायी  थी !! छोटी सी तुरंत जन्मी भैस को रोज उठाते उठाते मालूम भी नहीं हुआ की वो बड़ी भैस कब बन गई !! क्योकि अभ्यास बड़ी बात है !! बात बात में आश्चर्य करने वाले को यह समज लेना जरुरी है !!

आप के हाथ की अंगुली भी भिन्न है !!

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Read all पॉलिटिशियन !! Understand voters !!  https://t.co/TNqsnpQQcl अन्योरचित्रम खलु भिन्नरूपम् अन्येन द्वारा मम भिन्न चित्रम आप ज देखते है वैसा ही दूसरा नहीं देखता है !! वैसे आपको भी सब अलग अलग रूप ही देखते है !! यह कटु सत्य है !! आप के हाथ की अंगुली भी भिन्न है !! अरे एक ही चीज़ को सब अपनी अपनी नज़र से देखते है !! ईश्वर एक है फिर भी अलग  अलग तरीके से उसके रूप को दिखाकर नए नए धरम बनाते है !!क्लास में एक बच्चा ९० तो एक ७०  पर्सन्टेज  ले आता  है !! एक ही दुनिया में कोई  कोई ज्यादा कमाई कर लेता है कोई कम !! कोई युही मोटा है कोई दुबला !! एक अनेकान्त वाद की कल्पना है एक वन नेस  की !!यह जगत में असमानता में रही एकता सबसे ऊँची बात है !! बाकि तो जो समानता की बात करते है वो तो दुनिया को उल्लू बनाने का व्यापार है !! यही अलगता वैविध्यता में एक ही ईश्वर छुपा है !!  बस उसे जानना  है !! समजाना है !! मदद की बात अच्छी है !! लेकिन भिकारी बना देना  वो गलत है !! आर्यभट्ट ब्रह्मगुप्त भास्कचार्य जैसे महान पंडित वै...

चीख है राम की !!

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बार बार मुझे रामायण का धोबी स्मरण में आता है !! हर समाज में ऐसे धोबी है  !!अपनी ज्ञाति जमात में देखो ऐसी आईटम मिल जाएँगी !! जो रामायण बनाते है !! और दुःखकी बात यह भी है कभीकभी पूरा समाज ऐसे धोबीयो को इलेक्शन में वोट दे डालता है !!सिर्फ एक धोबी ने कुछ शंका प्रगट की सभी लग गए उसके पीछे और सीता को वन मे जाना पड़ा !! और पूरी जिंदगी को रामायण बना डाली !! क्यों नहीं फटकारा था उस धोबी को !! स्वयं समाज में देखो हम कई बार ऐसे धोबी यो की बात सुनते है !! और रामायण बना डालते है !! यही तो शिख है रामायण की और चीख है राम की !!लोकतंत्र में ऐसे धोबी का होना और ऐसे को महत्व देना यही गलत बात है । हम मतदार को सावधान रहना ही होगा ! लोकतंत्र के विकास को और मजबूत बनाना होगा !!

होते है प्रभु के काम हमेशा !!

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ये मै  लिख रहा हु   आप पढ़ रहे  है !! फिरभी देखो दुनिया चल रही है !! तारे  ग्रह  नक्षत्र  !! अरे अत्यंत सूक्ष्म अणु  में इलेक्ट्रोन  घूम रहे है !! चल रहे  है सब !! कोई जबरदस्त काम चल रहा है  !! हम थे  न थे  होंगे न होंगे  लेकिन ये चल रहा काम  कोई कर रहा है !! ये महान कर्म सागर में हमारा ये छोटासा काम जैसे समंदर में  कागज की नैया !! तैरती जाती  है  !! बस यही सत्य है !! हमारे सामने !! इसका अविष्कार हो जाये यही तो अंतर की पुकार है !! एक बार समज गए फिर निश्चिन्त है !! चलो जुड़ जाय  !! प्रभु के काम !! होते है प्रभु के काम हमेशा !!

मंगल से डरो मत !! आधा डॉक्टर डेंजर है !!

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मै  ने मंगल के लिए कई ऑप्सन बताते आर्टिकल लिखे है !!

अपने मन को छलने वाले को क्या कहे?

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सब देखने जाओ तो अपने हिसाब से चलते  है !! हिरन गति मान  है !! हाथी   स्लो है !! कछुआ भी स्लो है !! खरगोश तेजी से दौड़ता है !! किन्तु अहंकार में खरगोश हार  जाता है और कछुआ जीत जाता है !! है न कहानी !! कोई पुरे जीवन अपनी हैल्थ में खोया रहता है !!कोई  मै  और   मेरी फेमिलि बस !! कोई पुरे समाज  में अपने नाम  के लिए जीता  है !! कोई पुरे देश में !! कोई पुरे विश्व में !! बस यहाँ अंत नहीं है !! न है पैसे का !! न है कीर्ति का !! आखिर में तो यह तंदुरस्ती के आधार से ही  है !! वह  सब अंत में बूढ़े  होते बोलते है आरोग्य ही बड़ी चीज़ है !! और तंदुरस्त बूढ़े कहते है मन की शांति का महत्त्व है !! हम अपनी तस्वीरें रखते है न  !! देखो हम बहोत सुखी  है !!खुद को पूछने के बजाय दुसरो से जानना कोशिश करते है !! ( देखो मै  सुखी हु न ?) !! संतोषी को यह प्रश्न नहीं होता !! और अहंकारी दुसरो से मन ही मन आगे हु ऐसा मन  मना  कर दुसरो को हीन  मानता  है !! एक पुराने गीत की पंक्ति अच्छी है ...