भागना बेकार है मौन से टकरा ले !!!
भागना बेकार है मौन से टकरा ले !!! शांति मिले वो त्याग बाकि सब बेकार की दिमागी कुस्ती ! तुही खाता है तू ही पीता है तू ही भुगता है तुही करता है मै तो सिर्फ निमित हु और वो भी तेरा ही बनाया हुआ !! मृत्यु से डरने वाला बेवकूफ हु मै !! बहोत ढूँढने के बाद वहा ही आके खड़ा रहूँगा !!! क्या मै मुझे ही ढूँढता हु ? सबसे बड़ी प्राप्ति निर्भयता की है निर्भयता और निखालास्ता के बिना आनंद की प्राप्ति नहीं होती जिसको ना कहते नहीं आता उसे हा की कीमत समाज में नहीं आती ! समज आता है ज्ञान से किन्तु अनुभव होता है मन को ! धरती का अंत अपना घर है ! वैसे चिंतन अभ्यास ज्ञान की पराकाष्ठा खुद ही है !! प्रत्येक कर्म का फल है और कर्म निश्चित है प्रकृति का !!! मै मै कर अहंकार करना व्यर्थ है !! तू तू कर तू से भक्ति है !! किन्तु जहा मै नहीं तू नहीं वहा सिर्फ वो ही है !! सुक्ष्म में विस्तृतता और विस्तृतता में सूक्ष्मता का भास होता Rajendraprasad vyas 6 sahjanand soc.harani varasiya ring rd.near Jayaram khaman,vadodara 390006 India deojyotishalaya.com rajendravyas@yahoo.com M +91 9898563630