करमन कि बलिहारी !!!
किस्मत और कर्म के बारे में अगर कहे तो अच्छी किस्मत वाले फल मिलता ही है !! किन्तु अच्छे कर्म करने वाले को फल मिले या न मिले ये दोनों चांस रहते है !! हा अच्छे कर्म करने वाले को एक संतोष जरुर रहता है कि उसने कुछ किया तो है ही !!! दो मीत्र एकबार जंगल में रास्ता भूल गए !! बहोत चल कर थक गए ! शाम हो गई !! किसी पेड़ पर रह लेंगे यह सोच कर रात को जंगल में गुजरना मुनासिब माना ! एक कर्म वादी था उसने सोचा चलो खाने के लिए कुछ फल ढूंढ लाये !! दूसरा किस्मतमे मानता था उसने कहा हमारी किस्मत ही खराब है मुजे तो अब कही नहीं जाना। आराम करूँगा ! कर्मवादी तो चल पड़ा ! कुछ खाने का फल वगैरह लेके आया। दोनों खाने बैठे। कर्मवादी सोचने लगा किस्मत ही सही है !! ये आराम कर के बैठा रहा मै कर्म करके फल लाया और ये मजे से खा रहा है !!किस्मत में मानने वाला सोचने लगा कर्म ही सही है देखो इसने कर्म किया तो खाना मिला !!! इसीलिए तो कहा है न मूर्ख मुर्ख मौज करत है पंडित फिरत भिखारी ये करमन...