अज्ञान
ज्ञान होने से सुख दुःख तिरस्कार वगैरह का अनुभव होता है । जैसे की किसीकी मृत्यु हो चुकी है किन्तु जब तक हमें इस बात का हमे ज्ञान नहीं होता है तबतक हमें उसीके बारे मै कोई चिंता नहीं होती है ! भले ही वो मर चूका हो !!लेकिन जब जान लेते है तब ही दुःख होता है !! मतलब अज्ञान हमें हकीकत से दूर रखता है !ऐसे देखने जाओ तो ज्ञान का सम्बन्ध है समय-काल से ! और कब ज्ञान का जागना यह भी महत्व की बात है !अरे ! आश्चर्य की बात तो यह है की जब मनुष्य जागता है तब ही जीवन के बारे मै सोचता है !! हकीकत में तो अज्ञान की गहन निंद्रा में होता है ! जहाँ विचार मात्र नहीं है !! बस इसीसे ही अज्ञान को साधन के रूप मै बेचना चालू हो गया है !!क्लोरोफोर्म,नशीली चीज़े ,शराब, टोबेको इत्यादि !!अज्ञान खुद ज्ञान का नाश नहीं करता है किन्तु उसे भुला देता है !!इसीलिए हमें अज्ञान में बंद ज्ञान अनुकूल हो तो पसंद आ जाता है !!और प्रतिकूल हो तो नहीं !! बस यही चीज़ कई बार गलत बात को सराहना और जस्टिफिकेशन करने लगती है !! असत्य की तरफदारी !!इसीलिए सत्य तो यही है ! हमारा अनुकूल अज्ञान सत्य नहीं है !!और इस बात तब ही समज में आती है जब