सहजं कर्म कौन्तेय ......
शान्ति से क्रोध को मारों । नम्रता से अभिमान को जीतो । सरलता से माया का नाश करो । संतोष से लोभ को काबू में लो । अशुभ से नि वृत्ति और शुभ में प्रवृत्ती व्यवहार ये चारित्र्य है । तू देव था सतत आचारी देव सेवा
मित्र -मार्गदर्शक एवं तत्व चिंतक मो ९३७६२१४९२१ address:६ सहजानंद स ,हरनी रोड ,वडोदरा ३९०००६ deojyotishalaya@gmail.com