गुन कहा से आए !!
कुछ चीजे ऐसी है जो अपनी दृष्टी से है !जैसे की स्टार होटल में नींद आती है लेकिन सुव्वर को गंदे नाले में नींद आयेगी । वो वहा जाएगा तभी चैन आयेगा !ऐसे गुन कहा से आते है ? यह अलग प्रश्न है !तुमने कभी नशा नही किया है और अरे तुमने चखा भी नही है फ़िर भी नही करना चाहते हो यह जन्म जात गुन है ! हिरन मांसाहारी नही है किंतु शेर तो खायेगा !तो अब जगडा ये उठेगा की ऐसी दुनिया क्यो बनाई ! इसी लिए सबसे पहला सूत्र लिखा है परमात्मा रूप बन जाओ अगर यह नही तो दुसरे क्रम पर आगे बढो ! यही तो सूत्रों की कमाल है ! अपना अपना कम कैसे तय किया गया वह जानना कठिन जरुर है लेकिन गीता में स्वधर्म का उपदेश में यह समस्या का समाधान बताने की कोशिश कम नही है !! आवेगस्य शमनम स्वधर्मेंन औ गुन मंडल तू ही रस रचादे । मन गुन कर कछु गाये l शेर ने क्यों मारा !! हिरनों ने क्यों नही !!! यही बीमारी है सारी नासमजको समजने की !!!! उसीके ही सहारे बैठकर ,लिखता हु उसी के बारे में !! प्रत्येक पल देहाकृति भिन्न भिन्न होती है किंतु उसी आधार से तो उस सृष्टि का रचयिता परमात्म रूप तुम्ही साक्षी होते हो वाही उसकी खूबी है !! यह ब...