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जून 6, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मन

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मन एक अद्भुत चीज़ है । कुछ लोगोने मन के बारे में कई जानकारी दी है । ज्योतिष ने इसे जोड़ा है चंद्र से ! चन्द्रमा मनसो जातः । रमण महर्षि ने मन को चोर कहा है । ये पकड़ा नही जाता ! ज्योतिषशास्त्र में मन को चंद्र के साथ जोड़ा है। पंच  भूत मंगल बुध गुरु शुक्र शनि जो है वह अग्नि भूमि आकाश जल और वायु है । आत्मा मन है राहू केतु ग्रह नही है । अवरोध और गति की रिधम  न्यारी है ! अवरोध राग जगाये तोहे  हं यं रं वं लं मन आतमजी ब्राह्मणको मूर्ति पर प्राणप्रतिष्ठा करते हुए देखेंगे तो इन बीजो की सुनाई होगी ! कर्मकांड को कुछ बिन समज लोगोने उल्टा चित्र डाला है ! अब मानलो योग को तो यह बिज मंत्रो सुनाई देंगे । अगर आप योग  को वैज्ञानिक मानने लगे है तो कर्मकांड के भीतर भी चले जाए तो यह बात समज में आएँगी ।वास्तव में कर्मकांड वैज्ञानिक द्रष्टि से देखना जरुरी है !! कुछ धर्मं का धंधा करने वाले अत्यन्त चालाकी से अपने आश्रमों मंडलों का व्यवसाय बनाये रखने के लिए आपके अन्दर ही छिपे परमात्मा तत्त्व को विसारने के लिए कम करते रहे है और करते रहेंगे !! इसीलिए सर्व श्रेष्ठ गृहस्थआश्रम में ध्यान