संदेश

धातु मूल जिव द्यावा पृथ्वी

चित्र
ज्योतिष शास्त्र में धातु मूल और जिव तिन प्रकार की राशिया है ।धातु पहले थी बाद में वनस्पिति सेल बने बाद में जिव अर्थात प्राणिज सेल बने ! मिथुन कन्या  जिसका स्वामी बुध है। धन मीन का स्वामी गुरु है । बुध पृथ्वी तत्व है और गुरु अवकाश तत्व है ! पृथ्वी अवकाश एकस्थ देव !!अद्भुत कल्पना !!वैज्ञानिक दृष्टिकोण !! यहाँ याद आ जाता है ऋग्वेद का द्यावा पृथ्वी सूक्त !! बस यहाँ ज्योतिष का वेदांगत्व फल दर्शन में भी दिखाई देता है !! एटम   वनस्पति सेल   एनिमल सेल एटम को धातु माने । एटम रिएक्शन से बनते है एलिमेंट कम्पाउंड और मिक्सचर। यही धातु ओ की अवस्था से वनस्पति ।और इन दोनों से प्राणिज सेल । और सेल समूहो से दिखता है प्राणी एवम वनस्पति । यह ताने बाने वोही तो कुंडली है । દેવતાઓ શુ છે તે દેવા ભાવયનતુ વ:

अर्ध विज्ञानी !!

चित्र
मुझे यह लिखना जरुरी नहीं है फिर भी लिखता हु !! कुछ बेवकूफ सुधारावादी बस युही हर पुरानी बातो को गाली देते है !! विज्ञान नहीं जानते हुए विज्ञान की बड़ी बाते करते है !! संस्कृत के जहांज में आयुर्वेद फंसा था !! अरे रस्ते पर ऐसी वैसी वनस्पति की दवाइया बेचते थे !! और पुरे आयुर्वेद जो की उपवेद है उसे बदनाम करने का कारण बनते थे ! आज आज आयुर्वेद की यूनिवर्सिटी बन गई है !!लेकिन ऐसे आधे वैद्य को मिलकर पुरे आयुर्वेद को हँसाना यह मूरख जैसी बात है !! मेडिकल अपनी जगह पर विश्व मान्य हुआ है !!ज्योतिष का भी यही बुरा हाल है !!इसकी वैज्ञानिक बात सिद्धांत खगोल विभाग है जो पूर्णतया विज्ञान स्वीकृत है !! किन्तु फलादेश जिव और गुरुत्व कर्षण अवकाशि पदार्थ की जीवो पर असर यह पूर्णतया प्रस्तापित न होने के कारण इसमें छुपे रहस्य तक्षशिला नालंदा के पुस्तकालय भांत अर्ध वैज्ञानिक दृष्टिकपन वाले सुधरा वादी तोड़ रहे है यह अनुचित है !! https://youtu.be/xNF-yBhkbWY

तो मै कहता हु ईश्वर !!

चित्र
मजा की बात तो देखो !!भूतकाल बढ़ता ही जा रहा है !! और हा भविष्य काल आता ही रहता है !! न जाने भविष्य काल का आता रहता प्रवाह रुक न जाय !! या फिर भूतकाल का बर्तन पूरा भर जायेगा !! अरे मै तो बैठा हु वो तो वर्त्तमान है !! बस इसी क्षण !! There fore at least love your life !! This is a great gift !! और ये भी याद रख ये बहती है धारा भविष्य काल की ये बहती ही रहे !! जो भी चलाता है खुदा या गॉड !! It is a great !! कोई मुझे पूछे के धर्म बड़ा है या ईश्वर !! तो मै कहता हु ईश्वर !! ये महा प्रवाह कहा रुकता है !!

गीता

चित्र
मेरे  एक  मित्र  थे ! अतुल  पटेल !! उनके  साथ गीता शार्ट में  कैसे  कहे  !! ज्ञ  कृ  भ  !! उनकी  यह बात अच्छी है !! ज्ञान  कर्म  और भक्ति !! यही बात को जोड़ा तो यह बन गया !! यही  बात  एक इंटरवयू  में कही  

मन की दिशा एक

चित्र
मन  की दिशा एक अभ्यास यथा महिषे  मन एक ही दिशा में दौड़ता है !! पागल बन कर !! हम कुछ भी सोचते है उसी समय अनेक चीजो को भूल कर सोचते है  !! एक में दौड़ अनेको की विस्मृति यही मन की गति का गुण  है !! एक रानी ने अति आश्चर्य में रहने वाले राजा को एक भैसा उठा कर दिखलाया था !! उसने अभ्यास की बात समजायी  थी !! छोटी सी तुरंत जन्मी भैस को रोज उठाते उठाते मालूम भी नहीं हुआ की वो बड़ी भैस कब बन गई !! क्योकि अभ्यास बड़ी बात है !! बात बात में आश्चर्य करने वाले को यह समज लेना जरुरी है !!

आप के हाथ की अंगुली भी भिन्न है !!

चित्र
Read all पॉलिटिशियन !! Understand voters !!  https://t.co/TNqsnpQQcl अन्योरचित्रम खलु भिन्नरूपम् अन्येन द्वारा मम भिन्न चित्रम आप ज देखते है वैसा ही दूसरा नहीं देखता है !! वैसे आपको भी सब अलग अलग रूप ही देखते है !! यह कटु सत्य है !! आप के हाथ की अंगुली भी भिन्न है !! अरे एक ही चीज़ को सब अपनी अपनी नज़र से देखते है !! ईश्वर एक है फिर भी अलग  अलग तरीके से उसके रूप को दिखाकर नए नए धरम बनाते है !!क्लास में एक बच्चा ९० तो एक ७०  पर्सन्टेज  ले आता  है !! एक ही दुनिया में कोई  कोई ज्यादा कमाई कर लेता है कोई कम !! कोई युही मोटा है कोई दुबला !! एक अनेकान्त वाद की कल्पना है एक वन नेस  की !!यह जगत में असमानता में रही एकता सबसे ऊँची बात है !! बाकि तो जो समानता की बात करते है वो तो दुनिया को उल्लू बनाने का व्यापार है !! यही अलगता वैविध्यता में एक ही ईश्वर छुपा है !!  बस उसे जानना  है !! समजाना है !! मदद की बात अच्छी है !! लेकिन भिकारी बना देना  वो गलत है !! आर्यभट्ट ब्रह्मगुप्त भास्कचार्य जैसे महान पंडित वै...

चीख है राम की !!

चित्र
बार बार मुझे रामायण का धोबी स्मरण में आता है !! हर समाज में ऐसे धोबी है  !!अपनी ज्ञाति जमात में देखो ऐसी आईटम मिल जाएँगी !! जो रामायण बनाते है !! और दुःखकी बात यह भी है कभीकभी पूरा समाज ऐसे धोबीयो को इलेक्शन में वोट दे डालता है !!सिर्फ एक धोबी ने कुछ शंका प्रगट की सभी लग गए उसके पीछे और सीता को वन मे जाना पड़ा !! और पूरी जिंदगी को रामायण बना डाली !! क्यों नहीं फटकारा था उस धोबी को !! स्वयं समाज में देखो हम कई बार ऐसे धोबी यो की बात सुनते है !! और रामायण बना डालते है !! यही तो शिख है रामायण की और चीख है राम की !!लोकतंत्र में ऐसे धोबी का होना और ऐसे को महत्व देना यही गलत बात है । हम मतदार को सावधान रहना ही होगा ! लोकतंत्र के विकास को और मजबूत बनाना होगा !!