मन की दिशा एक
अभ्यास यथा महिषे
मन एक ही दिशा में दौड़ता है !! पागल बन कर !! हम कुछ भी सोचते है उसी समय अनेक चीजो को भूल कर सोचते है !! एक में दौड़ अनेको की विस्मृति यही मन की गति का गुण है !!
एक रानी ने अति आश्चर्य में रहने वाले राजा को एक भैसा उठा कर दिखलाया था !! उसने अभ्यास की बात समजायी थी !! छोटी सी तुरंत जन्मी भैस को रोज उठाते उठाते मालूम भी नहीं हुआ की वो बड़ी भैस कब बन गई !! क्योकि अभ्यास बड़ी बात है !! बात बात में आश्चर्य करने वाले को यह समज लेना जरुरी है !!
टिप्पणियाँ