ज्योतिष की दशा !!


देखने जाओ तो ज्योतिष वस्तुत: वेदांग है । अतः खुबिकी बात यह है की वेदका मूल नही समज़ना है।पहेले जो ब्राह्मण विद्वान् थे वो ही इस शास्रामे थे। किंतु अबका हाल कुछ ऐसा हुआ है ।जो ब्रह्माण्ड का ब   नही जानता उसको इसमे बिठाते है। इसीके कारण ज्योतिष विद्याका मूल कहाँ है ? और कही चला जाता है !ज्यादातर लोगोने इसको पूर्णतय धंधा बना दिया है.वास्तवमे यह वेदान्त है.ध्योतिती यत तद ज्योति: ज्योतिषं ऐसा निरुक्त में कहा है । जैसा की बृहद पराशर होराशास्त्र में एक श्लोक है पंचम गुरु यदा स बहुपुत्री ऐसा है तो अर्थ किया है पंचम गुरु होने से बहु लड़किया होगी। यह ग़लत है क्योकि जैसे बहु ज्ञान होनेसे बहुज्ञानी वैसे ही बहु धन होने से बहुधनी उसी तरह बहु पुत्र होने से बहुपुत्री ऐसा अर्थ है । आजकल हाल ये है की कोई भी लेखक बन जाता है। अरे ख़ुद बड़ा मंडल बनाके बीबनाबी बना लेता है!! मेडल ले लेता है !! नौकरी में छात्र नहीं होते है तो व्याकरण प्राध्यापक ज्योतिष का विषय पढ़ा लेता है और अपनी वर्ग संख्या दिखा कर सैलरी ले लेता है !! । इससे शास्त्र की बात नही बनती। पैसा कमालेना और शास्त्र दोनों भिन्न है। इसी लिए मैंने बार बार ज्योतिष अध्यात्म विज्ञानं है । ऐसा कहा है।R & D कहा है ? हा कॉमेंट है !! याद रहे विज्ञान में कॉमेंट को स्थान नहीं है संशय नहीं संशोधन की जरूर है !!



टिप्पणियाँ

Rajendraprasad Vyas ने कहा…
the movement is a base of the life.the proton has a speed.inside proton still there are lots of things to know.the lives are working yet.because there are so many other creatures explained in different books are more inteligent than human being.are yaksha-gandharva-kinnar-deva-asura etc!!!
Rajendraprasad Vyas ने कहा…
EVERYTHINGS BELONGS TO THE GOD!AND GODIS IN THIS TOO!AAKASH TO VAYU! VAYU TO AGNI!AGNI TO JALA!AND JALA TO PRUTHVI!SO GURU-SHANI-MANGAL-SHUKRA-BUDHA!THIS WILL BE THE ORDER OF TATVA JYOTISH GYAN!
Rajendraprasad Vyas ने कहा…
gyan dhan both have relation with mind and life.dhan we can see while no physical the gyan!so mind-chandra and body lagna working here.

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