प्रतिकुलताये


चीजोका ढेर खड़ा कर देना यह सत्य नही है ......

जो चीजे जरुरी नही है या तो जरुरतसे ज्यादा है वो आगे जाके ख़ुद ही तकलीफ का कारण बन जाती है । इसीका कारण यह है की हरएक में बचाके रखने की आदत छुपी हुई है । लेकीन हम सब यह भूल जाते है की हरएक चीज को सम्हालना और रक्षण करना भी हमारा समय और महेनत खा जाता है । अगर हम यह नही कर पाते है तो नुकसानी में जाना पड़ता है और यही बात हमें सिर्फ़ चिंता के सिवा कुछ नही दे पाती !
वस्तुतः हमें भविष्य और दुसरोके साथ हरिफाई एवं आकर्षण के लिए दौडे रहते है !सब जानते है मेरे पीछे तो सिर्फ़ इतना ही खर्चा है तो बाकि किसके लिए कमाने को दौड़ता हु ? यही माया अपना काम  करवा  लेती है ! इसी लिए चीजो का ढेर करना ही उसकी मरम्मत में शान्ति छीन लेता है !
एक शेठ के घर के सामने एक मोची बड़े आराम से जीता था । शेठ की पत्नी  ने शेठ को पूछा ये गरीब है फ़िर भी क्यो चैन  से जीता है तब शेठ ने जवाब दिया उसके पास चिंता करानेवाला   सामान कम है !जितना विस्तार ज्यादा उतनी चिंता भी तो होगी ही !!अमरीका में कही लोगो के पास सम्पति है लेकिन उसको सम्हालना कष्ट दायक है और अगर बेच डाले तो नुकशान हो  जाने का पुरा भय है !जैसे आज लिया टी.वि कल सस्ते में ही बेचना होगा !!इसी लिए वस्तुओ का इकठ्ठा करना हमें ही ठोकर में लेता है !

टिप्पणियाँ

Rajendraprasad Vyas ने कहा…
for this this a enough shayari-make less just like control over weight!
खजाना क्या करे संभाला नही जाता , निकले जा अशरफी चैन लेता जा

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