जीवन अवस्था


मुझे अभी जाना हुआ महाभारत के व्याख्यान में ! श्री दिनकर जोशी के । वहा कुछ चर्चा में मैंने यह बात बताई की जीवन वैसे चर अवस्था में है । जो की हमें तिन का परिचय है । एक तो यह और दूसरी निद्रा और तीसरी जो है वो स्वप्न की ! तीनो में हम खो जाते है ! निद्राधीन को लोटरी लगे के कोई ख़राब समाचार मिले नींद में वो कहा होता है ! किन्तु उसकी हाजरी तो है ही ! स्वप्न में भले एक घंटे का हो हम तो अम्रीका भी घूम आते है ! सब उसमे सच लगता है किन्तु स्वप्न टूटते !!!बस वैसे ही चौथा लोक है ! जो अध्यात्मिक है हमें मालूम नहीं ! शिव महिम्ना स्तोत्र में उसे तुरीयं ते धाम ... करके लिखा है पुष्प दन्त ने !!


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