निद्रा जीवन लब धब !!


पंडित जगन्नाथजी के खबर अंतर पूछने गया था !! उन्हें भूल जाने की बिमारी हो गई थी।उम्र के हिसाब से भी यह असर थी। वो कहते थे जैसे कोई मूवी की क्लिप चालू होती है और फिर कुछ नहीं !एक गेप आ जाती है !!फिर शरू होती है फिर बंद !!इसी बात को लेकर परेशान थे वो !!
बस इस बात को जीवन में भी ले सकते है हम सब । जैसे जीवन और निद्रा !! हम जीवन की ओर से देखते है निद्रा को !! निद्रा कीओर से देखो ! निद्रा में भी जीवन की क्लिप्स आती है न?
इस दुनिया को भूलने के लिए तो तैयार ही हो !! बस इस बात को समजो । उलझने ओर सुलझने का चक्र है।मैग्निफाइंग ग्लास से मत देखो । कहते है न, प्रॉब्लम तो सबको है । बस नज़रिये की बात है ।अरे भाई अब तो नींद आ रही है !!

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