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दुनिया चलती रही है !!

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यहाँ बहोत कुछ शिखने मिलाता है !! हम देखेंगे की दूध से दही बनता है !! अनेक बेक्टरिया जन्म लेते है उनके बच्चे को छोड़ कर मर भी जाते है ! पूरा दूध बेक्टरिया से भरा हुआ बन जाता है इसे दही कहते है !! राम कृष्णा बुध्ध महावीर सिकंदर नेपोलियन सब आ कर गए !! दुनिया चलती रही है !! नए रूप धारण कराती है !!! दूध से दही बन जाता है !!  क्या हम बेक्तेरिया है !! हम क्या बना रहे है जनम मर कर ??? ये दही किसके लिए बन रहा है !! लेकिन बनता जरुर है !! हम इस दही बन रहा है उसीके एक अंग है !! बस यही गर्व ले सकते है !! हम कुदरत के अंग है !!  फिल्म दोस्ती के एक गीत में !! परमेश्वर ने ही यह सब को रचा हुआ है ! मै ऐसी वैसी चीज़ नहीं हु उसकी बने हुई हु ! जिसने सबको रचा  अपने ही हाथ से उसकी पहेचान  हु मै  तुम्हारी तरह !! यह अद्भुत माया है इसे समजने के बाद हम ज्ञानि हो सकते है !! लेकिन इसे समजना आसान नहीं है !!

इश्वर सत्य है अवं एक ही है !!

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इश्वर  सत्य है अवं एक ही है !! चाहे अल्लाह कहो परमात्मा कहो  गोड़ कहो कुछ भी कहो !! जैसे द्राक्ष कहो अंगूर कहो या ग्रेप कहो !! हर एक ने इसी ताकत महानता को जीवन तरीके में जोड़ ने की रीते बनाई है !! मनुष्य की यह महान  फिलोसोफी  है !! धर्म जैसे एक ही बात को समजने की रित है !! लेकिन ये इश्वर से बड़ा कभी भी नहीं हो सकता !! जैसे एक ही खाने की चीज है और चमच अलग अलग तरीके के !! दुःख की बात यह है की आज भी मनुष्य चमच को लेकर युध्ध में उतर आते है !! यह मुर्खता ही है !! यही बात पोलिटिकल पार्टी यो में देखि जाएँगी !! पार्टी अनेक है लेकिन देश तो एक ही है !! और पार्टी देश से बड़ी कभी नहीं है !! देश के अन्दर पार्टिया है !!!बनेगी और नाश होती रहेंगी !!यही बात धर्मो के बारे में भी है !! इतिहास इसका साक्षी है !! कई धर्म बने और नष्ट भी हो गए है !! लेकिन इश्वर नहीं !! धर्म और पक्ष के पीछे इतने पागल न बनो की सत्य परमात्मा को भूल जाओ !!! एक गीत की पंक्ति मुझे बहोत याद रहती है - युग युग में बदलते धर्मो को कैसे आदर्श बना ओगे !! संसार से भागे फिरते हो भगवन कहा तुम पाओंग...

यह तो प्रकाश है !!

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जो बाटने  से घटता  है वो ज्ञान नहीं अज्ञान ही है !! देखने जाओ तो ज्ञान प्रकाश है ! अन्धकार नहीं ! इसे फैलना ही अपने आप की आदत है !! जो सहज है । मैंने यह श्लोक ब्राह्मण की स्वभाव वर्णं में देखा है यजनं  याजनं अध्ययन अध्यापन दानो दान प्रतिग्रहम-- बहोत  ऊँची बात यह है की ब्राह्मण का कर्त्तव्य हे यज्ञ  करना और करवाना ! अध्ययन करना और करवाना !!  दान लेना और देना !! एक अद्भुत समुदाय जो भारत में हुआ वह ब्राह्मण है !! आर्थिक चक्र के आज के माहोल में हमने इस जाती के विकासके  बदले पोलिटिकल चक्कर में इसे धीरे धीरे खोना चालू किया है !! हमने उबलते दूध में मलाई की ओंर उसके विकास का ध्यान कम दिया है !! विरोधी वर्गों ने भारतीय आर्थिक नहीं इसके ज्ञान भंडार पर भी युक्ति पूर्वक हमला किया जान पड़ता है !! अमीरी गरीबी के चक्कर में ज्ञान के भंडार खो गए है !! जो ब्राह्मण का बच्चा पढाई में होशियार होता है वो ज्यादाकर  के डाक्टर कोम्पुटर इजनर में जाने लगा है !! भारत की सच्ची शक्ति ज्ञान ही है !! आज विकसि त देशो के मुल्को में देखेंगे की उनकी प्रगति ...

स्त्री ओ में आकर्षण एवं टकटक करने की कला

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जीवन गति है !! चैतन्य गति है !! जो अव्यक्त है !!जड़ में भी गति जरुरी है . जो  उसके अणु ओ में चैतन्य फैला कर प्रकाश फैलाती है . जड़ तो नाशवंत है !!इसीलिए तो  + और - है !!  यिन  और याँग !! लओत्ज़े को समजो !! अर्धनारीस्वर की मूर्ति को समजो !! स्त्री  ओ में आकर्षण  एवं   टकटक करने की  कला से तो पुरुषो  में काम  नाम का आवेग गति और क्रोध नाम का आवेग गति पैदा होती है !! यह दोनों आवेग गति के लिए जरुरी  है !!यही ही मन ये गति है वह  बात समज में आती  है !! अर्थात मन एक गति है वो मन तत्व है !! ज्योतिष  इसे चन्द्र से जोड़ा है !! आत्म तत्व  सूर्य को !!जैसे गुरु तत्व !! यह दोनों अवकाश में है !! और ज्योतिष में अवकाश है गुरु !!! सेक्स का जन्म भी इसके पीछे का रहस्य है !!देव योनि में सेक्स नहीं है पारवती ने अपने मेल से गणेश बनाया था !! विष्णु ने नाभि से ब्रह्मा पैदा किया !! वगैरह !! आज भी अमीबा श्वेतकण वगैरह में पुरुष स्त्री नहीं होता स्वयं विभाजित होकर वृद्धि करते है !! बिल्ली कुत्ते मनुष्य़  वगैरह में एकत...

श्रध्दा इश संकल्पे !!

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ममत क्या है ? ये अपना ओपिनियन है !! मेरा ही ओपिनियन सही है यह  मान के चलना  ममत है ! और यह चीज़ ज्यादा राजकारण और धर्मो में चलती है !! फिर तो समज लो इसे लोग समजे फोलो करे और मेंबर बने !! इसीके चक्कर  में देखो तो कई काम  होते रहे है !!! अरे बड़े बड़े युध्ध भी हो जाते है !! और मेंबर बने मोब का तूफानों का तो क्या कहने !!   इश्वर की बनाई  इस  दुनिया में सच तो यह है की इश्वर के संकल्प में हमें श्रध्दा हो !! सर्व सम्मति भी कई बार मोब बन जाती है !!इसीलिए श्रध्दा इश  संकल्पे  !! परमात्मा के संकल्प को  ही सबसे बड़ा मानना चाहिए !!  अच्छे अच्छे लोग पूरी ज़िन्दगी इसमें फस जाते है !!  अरे देखो कई लोग तो मरते दम तक  ये भी नहीं तय कर पाते  की ये दुनिया बनाने वाला कौन है  !!! गुमशुदा जिंदगी खुद की होते हुए भी दूसरो को રાહ  दिखाता है !! परमात्मा के संकल्प को  ही सबसे बड़ा मानना चाहिए !!

छींक सभी ख़राब नहीं होती है !!

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छींक सभी ख़राब नहीं होती है !! ज्यादा तर तो छींक से लाभ होते है !!शकुन के चक्कर में हम कई बार फायदा खो देते है !!देखो यह कोष्टक !! आप से कौन सी दिशा में छींक सुनी !! इसका फल देखो

जड़ या जीवन ! गति तो रहती ही है !!

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कर्म तो पैदा होते ही रहते है ! ऐसा नहीं की जीवित में !! हमें जो निर्जीव दिखाते है उनमे भी रहे  अ णु में न्यू ट्रोंन  प्रोटोन है !!अरे इसीके अन्दर भी और अणु  मिलते ही जायेंगे !! जड़ ता कहासे शुरू हुई !!! अवकाश से वायु !! वायु से अग्नि !! अग्नि से जल !! जल से पृथ्वी तत्व !! अवकाश और जड़ता के अनु का प्रारंभ कहा कब हुआ ??  नुक्लिअस को केंद्र में रखे हुए पृथ्वी की भाती इलेट्रोंन  घूम रहे है !! उसमे भी गति है उसके भी कर्म है या परिवर्तन है !! अवकाशी घटना ये हम नहीं घटाते है !! ये कौन कलाकार है ? विज्ञानं से अज्ञान में ज्यादा अभिमान हम कर बैठते है !!  मान लो के चलते बिचमे कोई पत्थर आया हम उसको छोड़ के चल दिए !! तो कोई तो उसे खिसकाए गा ही !! अरे मौसम उसे बदलेगा !!     जैसे पत्थर समाधिस्थ चैतन्य है हम हिलते चलते चैतन्य है !!अगर कोई मनुष्य या प्राणी उस पत्थर को इधर उधर करता है तो ये भी समजा जायेगा की समाधिस्थ की क्रियाओ के लिए ये जीवित आत्मा था !! उदाहरन में कीड़ी -मंकोड़ो जंतु ओ भी प्रकृति के परिवर्तन में सहभागी होते रहे है !! प्रकृति...