इश्वर सत्य है अवं एक ही है !!

इश्वर  सत्य है अवं एक ही है !! चाहे अल्लाह कहो परमात्मा कहो  गोड़ कहो कुछ भी कहो !! जैसे द्राक्ष कहो अंगूर कहो या ग्रेप कहो !! हर एक ने इसी ताकत महानता को जीवन तरीके में जोड़ ने की रीते बनाई है !! मनुष्य की यह महान  फिलोसोफी  है !! धर्म जैसे एक ही बात को समजने की रित है !! लेकिन ये इश्वर से बड़ा कभी भी नहीं हो सकता !! जैसे एक ही खाने की चीज है और चमच अलग अलग तरीके के !! दुःख की बात यह है की आज भी मनुष्य चमच को लेकर युध्ध में उतर आते है !! यह मुर्खता ही है !! यही बात पोलिटिकल पार्टी यो में देखि जाएँगी !! पार्टी अनेक है लेकिन देश तो एक ही है !! और पार्टी देश से बड़ी कभी नहीं है !! देश के अन्दर पार्टिया है !!!बनेगी और नाश होती रहेंगी !!यही बात धर्मो के बारे में भी है !! इतिहास इसका साक्षी है !! कई धर्म बने और नष्ट भी हो गए है !! लेकिन इश्वर नहीं !!

धर्म और पक्ष के पीछे इतने पागल न बनो की सत्य परमात्मा को भूल जाओ !!! एक गीत की पंक्ति मुझे बहोत याद रहती है - युग युग में बदलते धर्मो को कैसे आदर्श बना ओगे !! संसार से भागे फिरते हो भगवन कहा तुम पाओंगे !!!
 एक  सत  विप्रा बहुधा वदन्ति    ।  अर्थात सत्य तो एक  ही है किन्तु विद्वान
 इसे  अलग  अलग  रीत से दिखाते है !!
 " कबीर कुआ एक है पनिहारी अनेक ;
न्यारे न्यारे बर्तन भये , पानी सब में एक "


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