- भागना बेकार है मौन से टकरा ले !!!
- शांति मिले वो त्याग बाकि सब बेकार की दिमागी कुस्ती !
- तुही खता है तू ही पीता है तू ही भुगता है तुही करता है मै तो सिर्फ निमित हु और वो भी तेरा ही बनाया हुआ !!
- मृत्यु से डरने वाला बेवकूफ हु मै !!
- बहोत धुन्धने के बाद वहा ही आके खड़ा रहूँगा !!! क्या मै मुझे ही धुन्धता हु ?
- सबसे बड़ी प्राप्ति निर्भयता की है
- निर्भयता और निखालास्ता के बिना आनंद की प्राप्ति नहीं होती
- जिसको ना कहते नहीं आता उसे हा की कीमत समाज में नहीं आती !
- समज आता है ज्ञान से किन्तु अनुभव होता है मन को !
- धरती का अंत अपना घर है ! वैसे चिंतन अभ्यास ज्ञान की पराकाष्ठा खुद ही है !!
- प्रत्येक कर्म का फल है और कर्म निश्चित है प्रकृति का !!!
- मै मै कर अहंकार करना व्यर्थ है !! तू तू कर टुकर से भक्ति है !! किन्तु जहा मै नहीं तू नहीं वहा सिर्फ वो ही है !!
- सुक्ष्म में विस्तृतता और विस्तृतता में सूक्ष्मता का bhas hota hai
इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
जीवन का मूल्य क्या है?
एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है? बुद्ध ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone का मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान रखना stone को बेचना नही है I वह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है? संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसे मुझे दे जा" आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखा और कहा "एक बोरी आलू ले जा और इस stone को मेरे पास छोड़ जा" आगे एक सोना बेचने वाले के पास गया उसे stone दिखाया सुनार उस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेच दे" l उसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे.. उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है l आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stone दिखाया l जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l फिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेस...
જ્ઞાન ધનન મહીં મનુજ ફસાયો
જ્ઞાન ધનન મહીં મનુજ ફસાયો.. ધન નું શુ થશે અને આ જ્ઞાન નું શુ થશે ..એ ચિંતા માં મનુષ્ય ફસાય છે. ધનવાન ને તેની ધન ની ચિંતા થાય છે જ્ઞાનવાન ને તેના જ્ઞાન ની!! વાસ્તવ માં તો જેનું છે તેનું છે.ક્યાંથી આવ્યું હતું? શુ તું લઈ ને આવ્યો હતો? તેન ત્યકતેન ભૂંજીથા ...અરે મૂર્ખ આ દેહ જ પ્રતિ ક્ષણ બદલાઈ રહ્યો છે!! જે દેહ અને મન પણ તેના જ છે.લેટ હિમ ડુ નાવ ...
टिप्पणियाँ