आश्रम का व्यवसाय !!

आजकल देखेंगे की अध्यात्मिक सेवा दृष्टिकोण से आश्रम बनाते रहे है । कुछ लोग अध्यात्म रस ना होते हुए भी प्रवास में रुकने की सुविधा करने लगे है ! और आश्रम वाले इसे एक अर्थ साधन भी मानते चले है । यह पध्धति ब्राह्मन लोगो ने विद्या बेचीं नहीं जाती इस आधार से की होगी । मेरे बचपन में मैंने देखा है की मेरे पिताजी कुछ विद्यार्थी को घर में रखा करते पढ़ते थे ! खैर अब तो पढाई भी बिकने लगी है !! किन्तु शास्त्रीय चर आश्रम तो मौजूद है !! इसमें गृहस्थास्रम को महान आश्रम कहा है । सब अपने इसी आश्रम को सम्हाले बस यही भी एक श्रेष्ठ आश्रम सेवा है !!

आश्रम तो मौजूद है

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