सुख अपना चक्कर
जब तक तुम्हे यह सृष्टि शुभ है इस बात की श्रध्दा नही होगी तब तक सच्चा सुख प्राप्त होगा नही !!
बुध्धि की पराकाष्टा आने पर ही श्रध्दा का जन्म होता है !!
विश्वं तद भद्रं वदन्ति देवा: । ।
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संयोग का अंत वियोग है !
जीवन का अंत मृत्यु !
तृष्णा का अंत नही है !!
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तू एक वृत्त से बहार आया इसीका मतलब ये हुआ की दुसरे वृत्त में जा गिरा ! ! !
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आशा याने जन्म उत्साह याने जीवन !!और निराशा याने मृत्यु !!
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तुम जो कुछ भी कर रहे हो वह सब इश्वर के लिए ही होता है ।
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भय अभ्यास से दूर हो सकता है
तू दूसरो से भिन्न है साथ ही साथ दूसरो में जो भी तत्व है वह तेरेमे भी है । इसका तुजे ज्ञान है । फिरभी अन्य तत्व विभिन्न रित से पड़े है । जैसे एक ज्योति से अनेक किरने !!सभी का मूल एक ही है!!
.................तत्व ज्ञान से क्या फायदा ??................
मनोस्वस्थ ता के लक्षण
- (1)अच्छी शारीरिक स्थिति
- (2)संतोष युक्त सामाजिक सम्बन्ध
- (3)स्वयं का महत्व और स्वमान
- (4)अन्तः सूज बुध
- (5)जीवन का तत्व ज्ञान
संसार के प्रश्नोमे इतने तो उल्जे रहते है कि धर्म के चक्कर में घुस जाते है जैसे जुआ खेल लिया !!ऊपर कि पञ्च चीज़ो में से ३ में भी पास होने से जीवन गुजर जाता है !!
बस इन बातो से ज्ञात होता है की अध्यात्म ज्ञान का क्या महत्व है ! जब चारो और से संताप से गिरे हो या तो रोग या वृध्ध अवस्था में आ चुके हो तब यह बात का महत्व महेसुस होता है !
आप समजे के सुख सब लिए एक सा है तो यह बात गलत है !! एक बार किसीने फैव स्टार बड़े होटल में एक सुव्वर को महेंगे बेद रूम में सुलाया !! वो ना सो सका !! कुछ देर के बाद भाग निकला और जब जाके कूड़े कीचड़ में जा गिरा तब उसे शांति की नींद आई !! हर एक को अच्छे पलंग पर नींद नहीं आती !!
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