ध्यान तो जगत के प्रहारों से बचने की युक्ति है
वैसे देखने जाये तो ज्ञान वो तो जगत पर होता प्रहार है !! ध्यान तो जगत के प्रहारों से बचने की युक्ति है !! वैसे साधुत्व के संग्राहक और संशोधक दो रूप है | कर्म अकरम से बड़ा है !! किन्तु
ज्ञान + कर्म = ज्ञान +अकर्म
इसीका कर्ण यह है की ज्ञान अनंत है !! थक जाये के सब जानते जानते !!
हवा खुद मेरे कमरे में चली आती है !! सूर्य खुद मेरे कमरे में आता है !! प्रभु उसी तरह खुद मिलने को आते है !! सिर्फ मुझे मेरा कमरा खुला रखना है !!
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